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عن علي رضي الله عنه قال: سمعتُ رسولَ اللهِ صلى الله عليه وسلم يقول: « مَا مِنْ مُسْلِم يَعُودُ مُسْلِماً غُدْوة إِلاَّ صَلَّى عَلَيْهِ سَبْعُونَ ألْفَ مَلَكٍ حَتَّى يُمْسِي، وَإنْ عَادَهُ عَشِيَّةً إِلاَّ صَلَّى عَلَيْهِ سَبْعُونَ ألْفَ مَلَكٍ حَتَّى يُصْبحَ، وَكَانَ لَهُ خَرِيفٌ في الْجَنَّةِ».
[صحيح] - [رواه أبو داود والترمذي وابن ماجه وأحمد]
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अली (रज़ियल्लाहु अनहु) कहते हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को फ़रमाते हुए सुनाः जब कोई मुस्लिम प्रातः किसी मुस्लिम व्यक्ति की इयादत (बीमारपुरसी) करता है, तो सत्तर हज़ार फ़रिश्ते शाम तक उस के लिए रहमत की प्रार्थना करते हैं। इसी प्रकार, जब कोई शाम को इयादत करता है, तो प्रातः तक फ़रिश्ते उसके लिए रहमत की दुआ करते रहते हैं तथा ऐसे व्यक्ति के लिए जन्नत में चुना हुआ फल है (अर्थात वह जन्नती है)
[सह़ीह़] - [इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है । - इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है। - इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है। - इसे अह़मद ने रिवायत किया है।]

व्याख्या

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