عن علي بن أبي طالب رضي الله عنه قال: «ما رَمِدْتُ ولا صُدِعْتُ منذ مَسَحَ رسول الله صلى الله عليه وسلم وجْهي، وتَفَل في عيْنِي يوم خَيْبر حِين أعْطاني الرَّايَة».
[حسن] - [رواه أبو يعلى وأحمد بمعناه]
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अली बिन अबू तालिब- रज़ियल्लाहु अन्हु- से वर्णित है वह कहते हैंः मुझे कभी आँख आई (नेत्र-शोथ हुई) और न ही कभी सिर में दर्द हुआ जब से अल्लाह के रसूल - सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने मेरे चेहरे को पोंछा था, और मेरी आँखों में थुका था (और ऐसा) ख़ैबर के दिन (हुआ था) जब आप ने मुझे झंडा दिया था।
ह़सन - इसे अबू यअ्ला ने रिवायत किया है।

व्याख्या

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