عن أم سلمة قالت: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم : «لا يُحَرِّمُ من الرَّضَاعَةِ إلا ما فَتَقَ الْأَمْعَاءَ في الثَّدْيِ، وكان قَبْلَ الْفِطَامِ».
[صحيح] - [رواه الترمذي]
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उम्मे सलमा कहती हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "दूध पीने से हुरमत उसी समय सिद्ध होती है, जब दूध अंतड़ियों तक पहुँचे और उन्हें सैराब करने का कार्य करे और दूध पिलाने का कार्य दूध छुड़ाने से पहले हुआ हो।"
सह़ीह़ - इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है।

व्याख्या

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