عن أسامة بن زيد رضي الله عنهما قال: أشرفَ النبيُّ صلى الله عليه وسلم على أُطُم من آطام المدينة، فقال: «هل ترون ما أرى؟» قالوا: لا، قال: «فإنِّي لأرى الفتنَ تقع خِلال بيوتكم كوَقْع القَطْر».
[صحيح] - [متفق عليه]
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उसामा बिन ज़ैद -रज़ियल्लाहु अन्हुमा- से रिवायत है, वह कहते हैं कि नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने मदीने के एक क़िले के ऊपर चढ़कर नीचे की ओर देखा और फ़रमायाः "क्या तुम वह देख रहे हो, जो मैं देख रहा हूँ?" सहाबा ने कहाः नहीं! तो फ़रमायाः "मैं देख रहा हूँ कि तुम्हारे घरों के बीच फ़ितने ऐसे उतर रहे हैं, जैसे (तेज़) बारिश बरसती हो।"
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने मदीने के एक दुर्ग के ऊपर के एक ऊँचे स्थान से देखा और अपने साथियों से कहा : क्या तुम वह देख रहे हो, जो मैं देख रहा हूँ? मैं देख रहा हूँ कि फ़ितने तुम्हारे घरों के बीच इस तरह उतर रहे हैं, जैसे भीषण वर्षा हो रही हो। इसके ज़रिए दरअसल इशारा है मदीने में होने वाले युद्धों तथा वहाँ सामने आने वाले फ़ितनों जैसे उसमान -रज़ियल्लाहु अनहु- की शहादत की घटना और हर्रा की घटना आदि की ओर।

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