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عن عبد الله بن الزُّبير رضي الله عنهما قال: «كان رسول الله صلى الله عليه وسلم إذا قَعد يَدْعُو، وضع يَده اليُمْنَى على فخِذِه اليُمْنَى، ويَده اليُسْرَى على فخِذِه اليُسْرَى، وأشَار بِإِصْبَعِهِ السَّبَّابَة، ووضَع إبْهَامَه على إِصْبَعِهِ الوُسْطَى، ويُلْقِم كَفَّه الْيُسْرَى رُكْبَتَه».
[صحيح] - [رواه مسلم]
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अब्दुल्ला इब्ने ज़ुबौर रज़ियल्लाहु अन्हुमा से रिवायत है किनबी- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- जब बैठते थे तो दुआ किया करते थे, अपने दाहिने हाथ को अपने दाहिने जांघ पर रखा करते थे तथा बाएं हाथ को बाएं जांघ पर रखते थे, और तर्जनी (शहादत वाली ) उँगली से इशारा करते रहते थे, तथा अपने उंगूठे को मध्यमा (बीच वाली उंगली) पर रखते थे, और अपने बाएं हाथ का गोला बनाकर उस से घुटने को पकड़ते।
[सह़ीह़] - [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

व्याख्या

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