عن زيد بن أرقم رضي الله عنه ، عن رسول الله صلى الله عليه وسلم قال:«إنَّ هذه الحُشُوشَ مُحْتَضَرَةٌ، فإذا أتى أحدُكم الخَلَاءَ فَلْيَقُلْ: أعوذُ باللهِ مِنَ الخُبُثِ والخَبَائث».
[صحيح] - [رواه أبو داود وابن ماجه وأحمد]
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ज़ैद बिन अरक़म (रज़ियल्लाहु अनहु) कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया: इन शौच के स्थानों में शैतान तथा जिन्न उपस्थित रहते हैं। अतः, जब तुममें से कोई शौच के स्थान में आए, तो यह दुआ पढ़े: أعوذُ باللهِ مِنَ الخُبُثِ والخَبَائث अर्थात, मैं नापाक जिन्नों और नापाक जिन्नियों (की बुराइयों से) से अल्लाह की शरण में आता हूँ।
सह़ीह़ - इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है ।

व्याख्या

शौच के स्थान में जिन्न एवं शैतान उपस्थि रहते हैं और इस प्रतीक्षा में बैठे रहते हैं कि इन्सान को कष्ट दे सकें और उसके अंदर बिगाड़ पैदा कर सकें। क्योंकि यह ऐसा स्थान है, जहाँ शरीर के गुप्त अंगों को खोला जाता है और उसमें अल्लाह का नाम भी नहीं लिया जाता। अतः जब कोई मुसलमान शौच के स्थान में पहुँचे, तो यह दुआ पढ़े : "أعوذُ باللهِ مِنَ الخُبُثِ والخَبَائث" यानी मैं तमाम शैतानों, चाहे वह पुरुष हों या स्त्री, की बुराई से अल्लाह की शरण एवं रक्षा में आता हूँ।

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