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عن أنس بن مالك رضي الله عنه أن رسول الله صلى الله عليه وسلم أعتق صفية، وجعل عِتْقَهَا صَدَاقَهَا.
[صحيح] - [متفق عليه]
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अनस बिन मालिक (रज़ियल्लाहु अन्हु) कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने सफ़िय्या (रज़ियल्लाहु अंहा) को गुलामी से मुक्त किया और उनकी मुक्ति को उनका महर बनाया।
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

व्याख्या

बनू नज़ीर के सरदार हुयय की पुत्री सफ़ीया, किनाना बिन अबुल हुक़ैक़ के विवाह में थीं। वह ख़ैबर के दिन मारा गया और नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने ख़ैबर को फ़त्ह करके स्त्रियों और बच्चों को क़ैद कर लिया, जिनमें सफ़ीया भी शामिल थीं। वह देहया ख़लीफ़ा कलबी के हिस्से में आईं, तो आपने देहया कलबी को उनके बदले एक दासी दी और उनका दिल रखने के लिए तथा उनपर दया करते हुए उन्हें अपने लिए चुन लिया। आपके सदव्यवहार का एक नमूना यह है कि आपने उन्हें दासी के तौर पर रखने की बजाय सम्मान दिया और मुक्त करके विवाह कर लिया तथा उनकी मुक्ति को ही उनका महर बनाया।

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