«إِذَا أَرَادَ اللهُ بِعَبْدٍ خَيْرًا اسْتَعْمَلَهُ قَبْلَ مَوْتِهِ» فَسَأَلَهُ رَجُلٌ مِنَ الْقَوْمِ: مَا اسْتَعْمَلَهُ؟ قَالَ: «يَهْدِيهِ اللهُ عَزَّ وَجَلَّ إِلَى الْعَمَلِ الصَّالِحِ قَبْلَ مَوْتِهِ، ثُمَّ يَقْبِضُهُ عَلَى ذَلِكَ».
[صحيح] - [رواه أحمد] - [مسند أحمد: 17217]
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उमर जुमई -रज़ियल्लाहु अन्हु- का वर्णन है कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमायाः "जब अल्लाह किसी बंदे के साथ भलाई चाहता है, तो उसकी मृत्यु से पहले उस से अच्छे कार्य करवाता है।" क़ौम के एक व्यक्ति ने पूछा कि 'استعملَه' का क्या मतलब है? तो आपने फ़रमायाः "अल्लाह उसे मृत्यु से पहले अच्छे अमल करने की तौफ़ीक़ देता है और उसी हाल में दुनिया से उठाता है।"
जब अल्लाह अपने बंदों में से किसी बंदे के साथ भलाई का इरादा करता है, तो उसे मृत्यु से पहले सत्कर्म का सुयोग प्रदान करता है, ताकि सत्कर्म पर मरने के कारण उसका अंत अच्छा हो और जन्नत नसीब हो जाए।