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عن ابن عباس رضي الله عنهما قال: «بُعِث رسولُ الله صلى الله عليه وسلم لِأَربعين سَنَة، فَمَكَثَ بِمكة ثلاثَ عشرة سنة يوحَى إليه، ثم أُمِرَ بالهِجْرة فَهاجَر عشر سِنِين، ومات وهو ابنُ ثَلاثٍ وستِّين».
[صحيح] - [متفق عليه]
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इब्ने अब्बास- रज़ियल्लाहु अन्हुमा- से रिवायत है वह कहते हैं कि नबी- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- को जब नबी बनाया गया तो आप की आयु चालीस वर्ष थी, आप मक्का में तेरह वर्ष तक रहे जहाँ आप पर वह्य उतरती रही, फिर आप को हिजरत (पलायन) का आदेश दिया गया तो आप ने हिजरत की जहां (मदीना में) आप दस साल तक रहे, और जब आप की मृत्यु हुई उस समय आप की आयु तिरसठ (63) साल थी।
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

व्याख्या

इस हदीस से मालूम हुआ कि अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- पर पहली बार वह्य 40 वर्ष की आयु में उतरी। उसके बाद मक्का में 13 वर्ष रहे। इस बीच वह्य का सिलसिला जारी रहा। फिर अल्लाह ने मक्का से मदीना हिजरत करने का आदेश दिया। मदीने में आप 10 वर्ष रहे। फिर वहीं मृत्यु को प्राप्त हुए। इस तरह आपकी आयु 63 वर्ष होती है।

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