عن أبي هريرة رضي الله عنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم : إذا قرأتم: الحمد لله فاقرءوا: ﴿بسم الله الرحمن الرحيم﴾ إنها أم القرآن، وأم الكتاب، والسبع المثاني، و﴿بسم الله الرحمن الرحيم﴾ إحداها.
[صحيح] - [رواه البيهقي والدراقطني]
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अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है, वह कहते हैं कि रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः “जब तुम लोग {अल-ह़म्दु लिल्लाह} पढ़ो, तो {बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम} (शुरू करता हूँ अल्लाह के नाम से, जो बड़ा दयालु और कृपाशील है) पढ़ो। निश्चय यह उम्म-उल-क़ुरआन (क़ुरआन का सार), उम्म-उल-किताब (किताब का सार) और अस-सब-अल-मसानी (बा-रबार दुहराई जाने वाली सात आयतें) है तथा {बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम} उनमें से एक है।"
[सह़ीह़] - [इसे बैहक़ी ने रिवायत किया है। - इसे दारक़ुतनी ने रिवायत किया है ।]