عن عمرو بن شعيب، عن أبيه، عن جده، عن النبي صلى الله عليه وسلم قال: «المُكَاتَبُ عَبْدٌ ما بَقِيَ عليه من مُكَاتَبَتِهِ دِرْهَمٌ».
[حسن] - [رواه أبو داود]
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अम्र बिन शुऐब से रिवायत है, वह अपने पिता से तथा वह अपने दादा से रिवायत करते हैं कि नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया : "c2">“मुकातब (वह ग़ुलाम जो अपने मालिक से यह अनुबंध कर ले कि कुछ पैसा लेकर वह उसको आज़ाद कर देगा) उस समय तक ग़ुलाम है जब तक उसके ऊपर उस अनुबंध का एक दिरहम भी बाकी है।”
ह़सन - इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है।

व्याख्या

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