«إِنَّ أَخْنَعَ اسْمٍ عِنْدَ اللهِ رَجُلٌ تَسَمَّى مَلِكَ الْأَمْلَاكِ، لَا مَالِكَ إِلَّا اللهُ عَزَّ وَجَلَّ»، وفي لفظٍ: «أَغْيَظُ رَجُلٍ عَلَى اللهِ يَوْمَ الْقِيَامَةِ، وَأَخْبَثُهُ وَأَغْيَظُهُ عَلَيْهِ، رَجُلٍ كَانَ يُسَمَّى مَلِكَ الْأَمْلَاكِ، لَا مَلِكَ إِلَّا اللهُ».
[صحيح] - [الرواية الأولى: متفق عليها.
الرواية الثانية: رواها مسلم] - [صحيح مسلم: 2143]
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अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अंहु) का वर्णन है कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः अल्लाह के निकट सबसे घटिया और तुच्छ व्यक्ति वह है, जो शहंशाह कहलवाए।वास्तविक बादशाह तो बस अल्लाह है।
तथा एक रिवायत में हैः क़यामत के दिन अल्लाह के क्रोध का सबसे अधिक पात्र और सबसे नीच वह व्यक्ति होगा, जो दुनिया में शहंशाह कहलवाता था। वास्तविक बादशा बस अल्लाह ही है।
सुफ़यान सौरी ने "ملك الأملاك" का अर्थ "शहंशाह" बताया है और अहमद बिन हंबल कहते हैं कि मैंने अबू अम्र से "أَخْنَع" का अर्थ पूछा तो उन्होंने बताया कि सबसे घटिया।
[सह़ीह़] - [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है। - इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने इस हदीस में बताया है कि अल्लाह के निकट सबसे तुच्छ और घटिया व्यक्ति वह है, जो अपना ऐसा नाम रखे कि उससे ऐसी महानता एवं श्रेष्ठता झलकती हो, जो अल्लाह के सिवा किसी के लिए उचित नहीं है, जैसे शहंशाह का शब्द है, इसमें एक तरह से अल्लाह की बराबरी और हमसरी (समानता) का दावा है। इसलिए इस नाम का इनसान अल्लाह के निकट सबसे अप्रिय और घटिया है। हदीस के इस टुकड़े का एक अर्थ यह भी हो सकता है कि वह अल्ललाह के निकट सबसे नापसंदीदा लोगों में से एक है। फिर आपने यह स्पष्ट कर दिया कि इस धरती और उसके सारे राजाओं एवं प्रजाओं का वास्तविक स्वामी अल्लाह है। इस हदीस में उन लोगों के लिए भी शिक्षा एवं नसीहत है, जो लोगों को उपाधियाँ, उनका अर्थ जाने बिना ही बाँटते रहते हैं, कि कहीं वे भी उस चीज़ में न पड़ जाएँ, जिससे इस हदीस में सावधान किया गया है। अल्लाह हम सब को इससे बचाए।