عن ابن عباس رضي الله عنهما أن عليًّا قال: تزوجتُ فاطمةَ رضي الله عنها ، فقلتُ: يا رسول الله، ابْنِ بِي، قال: «أَعْطِها شيئًا» قلت: ما عندي مِن شيء، قال: «فأينَ دِرْعُكَ الحُطَمِيَّة؟» قلت: هي عندي، قال: «فأعطها إياه».
[صحيح] - [رواه أبو داود والنسائي وأحمد]
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अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रज़ियल्लाहु अंहुमा) का वर्णन है कि अली (रज़ियललाहु अंहु) ने कहाः मैंने फ़ातिमा (रज़ियल्लाहु अंहा) से शादी की और कहाः ऐ अल्लाह के रसूल, मुझे उनके साथ शादीशुदा जीवन आरंभ करने दें। तो आपने कहाः "उसे कुछ दो।" मैंने कहाः मेरे पास कुछ नहीं है। आपने कहाः "तुम्हारा वह हुतमी कवच कहाँ है?" मैंने कहाः वह मेरे पास है। आपने कहाः "उसे वही दे दो।"
सह़ीह़ - इसे नसाई ने रिवायत किया है।

व्याख्या

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