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अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने दो दिन, अर्थात ईद अल-फ़ित्र एवं ईदुल-अज़हा के दिन रोज़ा रखने, एक कपड़े को सारे बदन पर इस तरह लपेटने कि हाथ आदि कुछ भी बाहर न निकल सके, पिंडलियों को खड़ा करके एक ही कपड़ा लपेटकर चूतड़ के बल बैठने और फ़ज्र एवं अस्र के बाद नमाज़ पढ़ने से मना किया है।
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क्या अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने विशेष रूप से शुक्रवार के दिन का रोज़ा रखने से मना किया है? तो फ़रमायाः हाँ।
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मेरे भाई दाऊद के रोज़े (आधे साल के रोज़े) से बढ़कर कोई रोज़ा नहीं है। एक दिन रोज़ा रखो और एक दिन बिना रोज़े के रहो।
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मैंने उमर बिन ख़त्ताब -रज़ियल्लाहु अनहु- के साथ ईद की नमाज़ अदा की। उन्होंने फ़रमाया कि यह दो दिन ऐसे हैं, जिनमें रोज़ा रखने से अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने मना किया है। एक (रमज़ान के) रोज़ों के बाद इफ़तार (ईद अल-फ़ित्र) का दिन, और दूसरा वह दिन, जिसमें तुम अपनी क़ुरबानी का मांस खाते हो (यानी ईद अल-अज़हा का दिन)।
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