أن النبي صلى الله عليه وسلم كان لا يَتَطَيَّر.
[فيه ضعف] - [رواه أبو داود]
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बुरैदा (रज़ियल्लाहु अनहु) से रिवायत है कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अपशगुन नहीं लेते थे।
अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- किसी भी चीज़ का अपशगुन नहीं लेते थे। याद रहे कि यहाँ मुराद ऐसा अपशगुन है, जो इन्सान को किसी काम से रोक दे, जैसा कि अज्ञान काल में हुआ करता था। इस्लाम ने अपशगुन लेने, चिड़िया उड़ाकर शगुन मालूम करने और तीर के द्वारा किसी काम के करने योग्य होने या न होने का पता लगाने जैसी चीज़ों से मना किया है और इनके बदले में इसतिख़ारा जैसी चीज़ प्रदान की है।