عَنْ جَابِرٍ رضي الله عنه:

أَنَّ النَّبِيَّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ مَرَّ عَلَيْهِ حِمَارٌ قَدْ وُسِمَ فِي وَجْهِهِ فَقَالَ: «لَعَنَ اللهُ الَّذِي وَسَمَهُ»، وعَنْهُ قَالَ: نَهَى رَسُولُ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ عَنِ الضَّرْبِ فِي الْوَجْهِ، وَعَنِ الْوَسْمِ فِي الْوَجْهِ.
[صحيح] - [رواه مسلم]
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इब्ने अब्बास (रज़ियल्लाहु अनहुमा) कहते हैं कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के पास से एक गधा गुज़रा, जिसके चेहरे पर दाग़ा गया था। तो आपने फ़रमाया: अल्लाह की लानत हो उस पर, जिसने इसे दाग़ा है। मुस्लिम की एक रिवायत में आया है: अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने चेहरे पर मारने तथा उसमें दाग़ने से मना फ़रमाया है।
सह़ीह़ - इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

इस हदीस में किसी भी जानदार के चेहरे पर दागने और इसी तरह चेहरे पर मारने से बड़ी सख़्ती से मना किया गया है। उलेमा ने इसे महा पापों में शुमार किया है। उलेमा ने मनाही का कारण यह बताया है कि चेहरा कोमल तथा सारी सुंदरता का केंद्र हुआ करता है। इसी तरह चेहरे के अंग ‏श्रेष्ठ एवं नाज़ुक होते हैं और इन्सान की अधिकतर अनुभूति इन्हीं पर निर्भर है। जबकि चेहरे पर मारने से यह शक्ति कभी तो नष्ट हो जाती है और कभी घट जाती है। कभी-कभी तो इससे चेहरे कुरूप भी हो जाता है। इसी तरह चेहरा हमेशा सामने होता है और उसे छुपाया नहीं जा सकता, जिसकी वजह से उसका ऐब बड़ा खराब लगता है और उसपर मारने से आम तौर पर ऐब पैदा हो ही जाता है।

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