عَنْ جَابِرٍ رضي الله عنه قَالَ: سَمِعْتُ النَّبِيَّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ يَقُولُ:

«إِنَّ الشَّيْطَانَ قَدْ أَيِسَ أَنْ يَعْبُدَهُ الْمُصَلُّونَ فِي جَزِيرَةِ الْعَرَبِ، وَلَكِنْ فِي التَّحْرِيشِ بَيْنَهُمْ».
[صحيح] - [رواه مسلم]
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जाबिर (रज़ियल्लाहु अनहु) कहते हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को फ़रमाते हुए सुना: बेशक शैतान इस बात से निराश हो गया है कि नमाज़ी (मुसलमान) उसकी अरब प्रायद्वीप में पूजा करेंगे, लेकिन उनके बीच झगड़ा फ़ैलाने से निराश नहीं हुआ है।
सह़ीह़ - इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

शैतान इस बात से निराश हो गया है कि अरब प्रायद्वीप के लोग उसी प्रकार मूर्ति पूजा की ओर लौट आएँगे, जिस प्रकार वे मक्का विजय से पहले इसमें तल्लीन थे। ऐसे में वह इस बात से संतुष्ट हो गया है कि उनके बीच अलगाव पैदा कर दिया करेगा। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए वह इस बात का प्रयास करेगा कि उनके बीच झगड़े पैदा, द्वेष, युद्ध और फ़ितने पैदा कर दिया करे।

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