عَنْ مُعَاوِيَةَ رضي الله عنه قَالَ: سَمِعْتُ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ يَقُولُ:

«إِنَّكَ إِنِ اتَّبَعْتَ عَوْرَاتِ النَّاسِ أَفْسَدْتَهُمْ، أَوْ كِدْتَ أَنْ تُفْسِدَهُمْ» فَقَالَ أَبُو الدَّرْدَاءِ رضي الله عنه: كَلِمَةٌ سَمِعَهَا مُعَاوِيَةُ مِنْ رَسُولِ اللَّهِ نَفَعَهُ اللَّهُ تَعَالَى بِهَا.
[صحيح] - [رواه أبو داود]
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मुआविया (रजियल्लाहु अनहु) कहते हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को फ़रमाते हुए सुना: यदि तुम मुसलमानों की छुपी हुई कमियों की जासूसी करते रहोगे तो उन्हें और अधिक बिगाड़ दोगे या उनहें बिगड़ने की कगार पर ले आओगे।
सह़ीह़ - इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है।

व्याख्या

अगर तुम मुसलमानों की गुप्त बातों, कमियों और ऐबों को ढूँढ-ढूँढकर निकालोगे और उनके पीछे पड़कर उनकी छिपी हुई बातों को उजागर करोगे और इस तरह उन्हें रुसवा करोग, तो उनकी हया कम हो जाएगी और वे इस तरह के गुनाह खुलकर सब के सामने करने लगेंगे। हालाँकि पहले वे छुप-छुपाकर करते और अल्लाह के अतिरिक्त कोई नहीं जानता था।

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