عَنْ عُقْبَةَ بْنِ عَامِرٍ الْجُهَنِيِّ رضي الله عنه:

أَنَّ رَسُولَ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ أَقْبَلَ إِلَيْهِ رَهْطٌ، فَبَايَعَ تِسْعَةً وَأَمْسَكَ عَنْ وَاحِدٍ، فَقَالُوا: يَا رَسُولَ اللهِ، بَايَعْتَ تِسْعَةً وَتَرَكْتَ هَذَا؟ قَالَ: «إِنَّ عَلَيْهِ تَمِيمَةً»، فَأَدْخَلَ يَدَهُ فَقَطَعَهَا، فَبَايَعَهُ، وَقَالَ: «مَنْ عَلَّقَ تَمِيمَةً فَقَدْ أَشْرَكَ».
[حسن] - [رواه أحمد]
المزيــد ...

उक़बा बिन आमिर -रज़ियल्लाहु अन्हु- का वर्णन है कि नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमायाः "जिसने तावीज़ लटकाया, अल्लाह उसके उद्देश्य को पूरा न करे और जिसने सीप लटकाया, अल्लाह उसे आराम न दे।" तथा एक रिवायत में हैः "जिसने तावीज़ लटकाया, उसने शिर्क किया।"
सह़ीह़ - इसे अह़मद ने रिवायत किया है।

व्याख्या

यह हदीस इस बात का प्रमाण है कि जिसने इस अक़ीदे के तहत तावीज़ बाँधा कि वह उसे हानि से बचाएगा, वह नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- की इस बद-दुआ में शामिल हो गया कि अल्लाह उसके उद्देश्य को पूरा न करे और उसे उसके कार्य में सफलता न मिले। इसी तरह आपने उक्त अक़ीदे के तहत कौड़ी बाँधने वाले के बारे में भी बद-दुआ की है कि अल्लाह उसे आराम तथा शांति न दे, बल्कि उसके कष्ट को और बढ़ा दे। इस बद-दुआ का उद्देश्य यह चीज़ें बाँधने से सावधान करना है। वैसे, खुद आपने दूसरी हदीस में बता दिया है कि यह कार्य अल्लाह के साथ शिर्क है।

अनुवाद: अंग्रेज़ी फ्रेंच स्पेनिश तुर्की उर्दू इंडोनेशियाई बोस्नियाई रूसी बंगला चीनी फ़ारसी तगालोग वियतनामी सिंहली उइग़ुर कुर्दिश होसा पुर्तगाली मलयालम सवाहिली पशतो असमिया السويدية الأمهرية الهولندية الغوجاراتية الدرية
अनुवादों को प्रदर्शित करें

शब्दार्थ

अधिक