عَنِ أَبِي هُرَيْرَةَ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ: أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ:

«مَنْ أَطَاعَنِي فَقَدْ أَطَاعَ اللَّهَ، وَمَنْ عَصَانِي فَقَدْ عَصَى اللَّهَ، وَمَنْ أَطَاعَ أَمِيرِي فَقَدْ أَطَاعَنِي، وَمَنْ عَصَى أَمِيرِي فَقَدْ عَصَانِي».
[صحيح] - [متفق عليه]
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अबू हुरैरा -अल्लाह उनसे प्रसन्न हो- से मरफ़ूअन वर्णित है : "जिसने मेरी आज्ञा का पानल किया, उसने अल्लाह की आज्ञा का पालन किया और जिसने मेरी अवज्ञा की, उसने अल्लाह की अवज्ञा की। जो अमीर की आज्ञा का पालन करता है, वह मेरी आज्ञा का पालन करता है और जो अमीर की अवज्ञा करता, वह मेरी अवज्ञा करता है।"
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने इस हदीस में बताया है कि आपका आज्ञापालन अल्लाह के आज्ञापालन में दाख़िल है। क्योंकि अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- उन्हीं बातों का आदेश देते थे, जिन्हें अल्लाह ने आपके तथा आपकी उम्मत के लिए धार्मिक कार्य के रूप में प्रस्तुत किया है। अतः, जब आप किसी बात का आदेश दें, तो वह पवित्र एवं महान अल्लाह की शरीयत का हिस्सा है। इसलिए जिसने आपकी आज्ञा का पालन किया, उसने अल्लाह की आज्ञा का पालन किया और जिसने आपकी अवज्ञा की उसने अल्लाह की अवज्ञा की। इसी तरह, जब किसी ने अमीर का अनुसरण किया, उसने अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- का अनुसरण किया और जिसने अमीर की अवज्ञा की उसने अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- की अवज्ञा की। क्योंकि एक से अधिक हदीसों में अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने इसका आदेश दिया है। हाँ, यदि अमीर गुनाह का आदेश दे, तो बात अलग है।

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