عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ رضي الله عنه قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ:

«اثْنَتَانِ فِي النَّاسِ هُمَا بِهِمْ كُفْرٌ: الطَّعْنُ فِي النَّسَبِ وَالنِّيَاحَةُ عَلَى الْمَيِّتِ».
[صحيح] - [رواه مسلم]
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अबू हुरैरा -रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया : "लोगों के अंदर कुफ़्र की दो बातें पाई जाती हैं : किसी के कुल पर कटाक्ष करना तथा मरे हुए व्यक्ति पर विलाप करना।"
सह़ीह़ - इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने इस हदीस में बताया है कि लोगों के अंदर कुफ़्र की दो बातें हमेशा पाई जाएँगी। इनसे वही बच सकता है, जिसे अल्लाह बचाए रखेः पहली बात है किसी के कुल में दोष निकालना। तथा दूसरी बात है मुसीबत के समय तक़दीर से नाखुश होकर ज़ोर-ज़ोर से रोना। अलबत्ता यह छोटा कुफ़्र है। इनमें से कोई कार्य करने वाला इस्लाम के दायरे से नहीं निकलता।

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