عَنْ أَنَسِ بْنِ مَالِكٍ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ عَنِ النَّبِيِّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ:

«وَكَّلَ اللَّهُ بِالرَّحِمِ مَلَكًا، فَيَقُولُ: أَيْ رَبِّ نُطْفَةٌ، أَيْ رَبِّ عَلَقَةٌ، أَيْ رَبِّ مُضْغَةٌ، فَإِذَا أَرَادَ اللَّهُ أَنْ يَقْضِيَ خَلْقَهَا، قَالَ: أَيْ رَبِّ، أَذَكَرٌ أَمْ أُنْثَى، أَشَقِيٌّ أَمْ سَعِيدٌ، فَمَا الرِّزْقُ، فَمَا الأَجَلُ، فَيُكْتَبُ كَذَلِكَ فِي بَطْنِ أُمِّهِ».
[صحيح] - [متفق عليه]
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अनस बिन मालिक (रज़ियल्लाहु अनहु) से मरफ़ूअन वर्णित है कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया: अल्लाह ने गर्भाशय के साथ एक फ़रिश्ता लगा रखा है, वह कहता हैः ऐ रब! यह अभी वीर्य है। ऐ रब! यह अभी जमे हुए ख़ून की शक्ल में है। ऐ रब! यह अभी गोश्त का लोथड़ा बना हुआ। फिर अल्लाह जब उसे पूर्ण रूप से पैदा करना चाहता है, तो वह कहता हैः ऐ रब! यह नर होगा या नारी, अभागा होगा या भाग्यवान, आजीविका कितनी मिलेगी? मौत कब होगी? इस प्रकार, यह बातें माँ के पेट में ही लिख दी जाती हैं।
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया है : "अल्लाह ने गर्भाशय के साथ एक फ़रिश्ता लगा रखा है।" यानी अल्लाह ने गर्भाशय से संबंधित कार्यों के निपटारा के लिए एक फ़रिश्ता नियुक्त कर रखा है। ज्ञात हो कि गर्भाशय माता के पेट का वह स्थान है, जहाँ शिशु पलता है। "वह कहता है : "أي ربّ نطفة" यानी ऐ मेरे पालनहार! अभी यह वीर्य है। अरबी शब्द नुतफ़ा से मुराद पुरुष का वीर्य है। इसी तरह बाद में आने वाले वाक्य : "أي ربّ علقة" का अर्थ है, ऐ मेरे पालनहार! अभी यह जमा हुआ रक्त है, तथा "أي ربّ مضغة" का अर्थ है, ऐ मेरे पालनहार! अभी यह मांस का टुकड़ा है। एक अन्य हदीस में स्पष्ट कर दिया गया है कि इनमें से हर मरहले की अवधि चालीस दिन है। फिर अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया : "फिर अल्लाह जब उसे" यानी मांस के टुकड़े को, जो इस सिलसिले का अंतिम मरहला है, "पूर्ण रूप से पैदा करना चाहता है" यानी उसमें रूह फूँक कर उसे संपूर्ण रचना का रूप देना चाहता है, जैसा कि एक अन्य रिवायत में इसका उल्लेख है। ज्ञात हो कि ऐसा एक सौ बीस दिन के बाद होता है। तब फ़रिश्ता कहता है : "ऐ मेरे रब! यह नर होगा या नारी?" यानी ऐ मेरे रब! यह पुरुष होगा कि पुरुष लिख लूँ या स्त्री होगा कि मैं स्त्री लिख लूँ? "अभागा होगा या भाग्यवान?" यानी यह अभागा तथा फलस्वरूप जहन्नमी होगा कि मैं अभागा एवं जहन्नमी लिख लूँ या भाग्यवान एवं फलस्वरू जन्नती होगा कि मैं भाग्यवान एवं जन्नती लिख लूँ? "इसकी आजीविका कितनी होगी?" थोड़ी या ज़्यादा? तथा किस परिमाण में? "आयु कितनी होगी?" लंबी अथवा छोटी? "चुनांचे, यह बातें माँ के पेट ही में लिख दी जाती हैं।" यानी उक्त बातें अल्लाह के निर्देश अनुसार उसी समय लिख दी जाती हैं, जब बच्चा माँ के पेट में होता है।

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