عَبْدَ اللَّهِ بْنَ عَمْرِو بْنِ العَاصِ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُمَا، قَالَ: قَالَ النَّبِيُّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ:

«إِنَّكَ لَتَصُومُ الدَّهْرَ، وَتَقُومُ اللَّيْلَ؟»، فَقُلْتُ: نَعَمْ، قَالَ: «إِنَّكَ إِذَا فَعَلْتَ ذَلِكَ هَجَمَتْ لَهُ العَيْنُ، وَنَفِهَتْ لَهُ النَّفْسُ، لاَ صَامَ مَنْ صَامَ الدَّهْرَ، صَوْمُ ثَلاَثَةِ أَيَّامٍ صَوْمُ الدَّهْرِ كُلِّهِ»، قُلْتُ: فَإِنِّي أُطِيقُ أَكْثَرَ مِنْ ذَلِكَ، قَالَ: «فَصُمْ صَوْمَ دَاوُدَ عَلَيْهِ السَّلاَمُ، كَانَ يَصُومُ يَوْمًا وَيُفْطِرُ يَوْمًا، وَلاَ يَفِرُّ إِذَا لاَقَى».
[صحيح] - [متفق عليه]
المزيــد ...

अब्दुल्लाह बिन अम्र बिन आस (रज़ियल्लाहु अंहुमा) का वर्णन है कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः हर महीने तीन रोज़े रखना, साल भर रोज़ा रखना है।
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

प्रतिष्ठित सहाबी अब्दुल्लाह बिन अम्र -रज़ियल्लाहु अनहुमा- ने संकल्प लिया था कि वह निरंतर रोज़ा रखेंगे। अतः अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने उनसे कहा कि वह हर महीने तीन रोज़े रख लिया करें, जो कि प्रतिफल के दृष्टिकोण से साल भर रोज़ा रखने के बराबर होगा। इसका कारण यह है कि अल्लाह हर नेकी का बदला दस गुना देता है, इसलिए तीन रोज़े के तीस रोज़े हुए। अतः जिसने हर महीने तीन रोज़े रखे, उसने गोया हमेशा रोज़ा रखा।

अनुवाद: अंग्रेज़ी फ्रेंच स्पेनिश तुर्की उर्दू इंडोनेशियाई बोस्नियाई रूसी चीनी फ़ारसी सिंहली उइग़ुर कुर्दिश होसा पुर्तगाली
अनुवादों को प्रदर्शित करें

शब्दार्थ

अधिक