«رَغِمَ أَنْفُ رَجُلٍ ذُكِرْتُ عِنْدَهُ فَلَمْ يُصَلِّ عَلَيَّ، وَرَغِمَ أَنْفُ رَجُلٍ دَخَلَ عَلَيْهِ رَمَضَانُ ثُمَّ انْسَلَخَ قَبْلَ أَنْ يُغْفَرَ لَهُ، وَرَغِمَ أَنْفُ رَجُلٍ أَدْرَكَ عِنْدَهُ أَبَوَاهُ الكِبَرَ فَلَمْ يُدْخِلاَهُ الجَنَّةَ».
[صحيح] - [رواه الترمذي وأحمد]
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अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अंहु) कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः उसकी नाक मिट्टी से भर जाए, जिसके पास मेरा नाम लिया गया और उसने मुझपर दरूद नहीं भेजा।
इस हदीस में एक महत्वपूर्ण बात बताई गई है। वह बात यह है कि अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- पर दरूद भेजना वाजिब है। क्योंकि आपने उस व्यक्ति की नाक के मिट्टी में मिलने की बददुआ की है, जो आपका नाम सुने और आप पर दरूद न भेजे। नाक के मिट्टी में मिलने की बददुआ दरअसल शक्ति होने के बावजूद अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- पर दरूद न भेजने की वजह से उसके अपमानित एवं तिरस्कृत होने का इशारा है।