عَنْ أَبِي وَاقِدٍ اللَّيْثِيِّ رضي الله عنه:

أَنَّ رَسُولَ اللهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ لَمَّا خَرَجَ إِلَى حُنَيْنٍ مَرَّ بِشَجَرَةٍ لِلْمُشْرِكِينَ يُقَالُ لَهَا: ذَاتُ أَنْوَاطٍ يُعَلِّقُونَ عَلَيْهَا أَسْلِحَتَهُمْ، فَقَالُوا: يَا رَسُولَ اللهِ، اجْعَلْ لَنَا ذَاتَ أَنْوَاطٍ كَمَا لَهُمْ ذَاتُ أَنْوَاطٍ، فَقَالَ النَّبِيُّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ: «سُبْحَانَ اللهِ! هَذَا كَمَا قَالَ قَوْمُ مُوسَى {اجْعَلْ لَنَا إِلَهًا كَمَا لَهُمْ آلِهَةٌ} [الأعراف: 138] وَالَّذِي نَفْسِي بِيَدِهِ لَتَرْكَبُنَّ سُنَّةَ مَنْ كَانَ قَبْلَكُمْ».
[صحيح] - [رواه الترمذي وأحمد]
المزيــد ...

अबू वाक़िद लैसी (रज़ियल्लाहु अंहु) से रिवायत है, वह कहते हैं कि हम अल्लाह के रसूल ﷺ के साथ हुनैन युद्ध के लिए निकले। उस समय हम नए- नए मुसलमान हुए थे। उन दिनों मुश्रिक (बहुदेववादी) एक बैरी के वृक्ष को पवित्र मानकर उसके पास तपस्या करते और उसपर अपने युद्ध के शस्त्रों को लटकाते थे। वह वृक्ष 'ज़ाते अनवात' के नाम से प्रसिद्ध था। अबू वाक़िद फ़रमाते हैं कि उस बैरी के वृक्ष के पास से हमारा गुज़र हुआ तो हमने कहा: ऐ अल्लाह के रसूल! उनकी तरह हमारे लिए भी एक 'ज़ाते अनवात' बना दीजिए। अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया: अल्लाहु अकबर (अल्लाह सबसे बड़ा है)! तुम भी पिछले समुदायों के तरीकों पर चल पड़े। उस महान अल्लाह की क़सम, जिसके हाथ में मेरे प्राण हैं, तुम लोगों ने ठीक वैसा ही कहा है, जैसा बनी इसराईल ने कहा था। उन्होंने मूसा (अलैहिस्सलाम) से कहा थाः "اجْعَلْ لَنَا إِلَهًا كَمَا لَهُمْ آَلِهَةٌ قَالَ إِنَّكُمْ قَوْمٌ تَجْهَلُونَ" (अर्थात: हमारे लिए भी कोई माबूद (पूज्य) बना दीजिए, जैसा कि मुश्रिकों के बहुत-से पूज्य हैं। तब मूसा (अलैहिस्सलाम) ने कहा था कि तुम सब निपट नादान हो।) {अल-आराफ़: 138} सुन लो, तुम लोग भी पहले समुदायों के पदचिह्नों पग-पग पर चलोगे।
सह़ीह़ - इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है।

व्याख्या

अबू वाक़िद लैसी -रज़ियल्लाहु अंहु- एक घटना सुना रहे हैं, जो आश्चर्यचकित करने वाला तथा शिक्षाप्रद है। घटना यूँ है कि है कि उन्होंने रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के साथ हवाज़िन क़बीले से युद्ध किया। वह अभी नए-नए मुसलमान हुए थे। अतः, शिर्क को पूरी तरह समझ नहीं पाए थे। यही कारण है कि जब मुश्रिकों को पेड़ से श्राद्ध लेते हुए देखा, तो अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- से कहा कि उनके लिए भी उसी तरह का एक पेड़ निर्धारित कर दें। आपने उनकी बात पर आश्चर्य प्रकट करते हुए और अल्लाह की बड़ाई बयान करते हुए 'अल्लाहु अकबर' कहा और बताया कि उनकी यह बात मूसा -अलैहिस्सलाम- के समुदाय की बात की तरह है, जब उन्होंने कुछ लोगों को बुतों की पूजा करते देख कहा थाः {اجعل لنا إلها كما لهم آلهة} (हमारे लिए भी एक पूज्य बना दें, जैसे उनके बहुत-से पूज्य हैं) तुम्हारा यह सवाल उन्हीं के तरीके का अनुसरण है। फिर आपने बताया कि इस उम्मत के लोग आगे चलकर यहूदियों और ईसाइयों के तरीके पर चल पड़ेंगे और उन्हीं के जैसे कार्य करने लगेंगे। वैसे, आपकी यह सूचना इस काम से सावधान करती और इसकी भर्त्सना करती है।

अनुवाद: अंग्रेज़ी फ्रेंच स्पेनिश तुर्की उर्दू इंडोनेशियाई बोस्नियाई रूसी बंगला चीनी फ़ारसी तगालोग वियतनामी सिंहली उइग़ुर कुर्दिश होसा पुर्तगाली मलयालम सवाहिली पशतो असमिया السويدية الأمهرية الهولندية الغوجاراتية الدرية
अनुवादों को प्रदर्शित करें

शब्दार्थ

अधिक