عَنْ عَائِشَةَ أم المؤمنين رَضِيَ اللَّهُ عَنْهَا قَالَتْ: إِنَّ النَّبِيَّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ:

«مَنْ ظَلَمَ قِيدَ شِبْرٍ مِنَ الأَرْضِ طُوِّقَهُ مِنْ سَبْعِ أَرَضِينَ».
[صحيح] - [متفق عليه]
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आइशा -रज़ियल्लाहु अन्हा- का वर्णन है कि नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया : "जो एक बित्ता समान भी ज़मीन हड़पेगा, उसकी गरदन में सात ज़मीनों का तौक डाला जाएगा।"
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

एक इनसान का धन दूसरे इनसान पर हराम है। किसी के लिए दूसरे व्यक्ति के अधिकार की कोई वस्तु उसकी रज़ामंदी के बिना लेना जायज़ नहीं है। फिर, अन्य धनों की तुलना में किसी की ज़मीन हड़प लेना और भी बड़ा पाप है। क्योंकि ज़मीन पर अवैध क़ब्ज़ा लंबी अवधि तक क़ायम रहता है। यही कारण है कि अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने बताया है कि जिसने किसी भी ज़मीन पर क़ब्ज़ा कर लिया, चाहे कम हो या ज़्यादा, वह क़यामत के दिन बहुत बड़ी यातना के साथ उपस्थित होगा। उस दिन उसकी गर्दन मोटी एवं लंबी कर दी जाएगी और उसमें उसके द्वारा अवैध रूप से क़ब्ज़ा की हुई ज़मीन का, उसकी सात परतों समेत, तौक़ (हार) बनाकर डाल दिया जाएगा। यह उसके द्वारा ज़मीन के मालिक पर किए गए अत्याचार का प्रतिफल होगा, जिसकी ज़मीन उसने हथिया ली थी। याद रहे कि इस चेतावनी के अंदर आम ज़मीन का, उसका मालिक बने और उसपर क़ब्ज़ा किए बिना इस्तेमाल करना दाखिल नहीं है।

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