عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ رضي الله عنه قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ:

«إِذَا قَاتَلَ أَحَدُكُمْ أَخَاهُ فَلْيَجْتَنِبِ الْوَجْهَ».
[صحيح] - [متفق عليه]
المزيــد ...

अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अंहु) कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "जब तुम में से कोई अपने भाई को मारे, तो चेहरे पर मारने से बचे।"
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

इस हदीस का अर्थ यह है कि जब तुममें से कोई किसी को शिष्ट बनाने, दंड देने, हद लागू करने या किसी झगड़े आदि के कारण मारे, तो चेहरे पर न मारे और इससे हर हाल में बचे। चाहे मामला शरई हद लागू करने ही का क्यों न हो। क्योंकि इन्सान का चेहरा उसके शरीर का सबसे प्रतिष्ठित अंग है और उसी से इन्सान किसी से आमने-सामने होता है। उसपर मारने से उसका कोई अंग नष्ट भी हो सकता है अथवा उसे कोई भी नुक़सान हो सकता है। इसलिए उसपर मारने से बचना ज़रूरी है। चेहरे पर मारना हराम है, चाहे मारना अपने आप में सही हो या ग़लत।

अनुवाद: अंग्रेज़ी फ्रेंच तुर्की उर्दू इंडोनेशियाई बोस्नियाई रूसी चीनी फ़ारसी उइग़ुर कुर्दिश पुर्तगाली
अनुवादों को प्रदर्शित करें

शब्दार्थ

अधिक