عَنْ أَبِي الدَّرْدَاءِ رضي الله عنه: سَمِعْتُ رَسُولَ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ يَقُولُ:

«إِنَّ اللَّعَّانِينَ لَا يَكُونُونَ شُهَدَاءَ وَلَا شُفَعَاءَ يَوْمَ الْقِيَامَةِ».
[صحيح] - [رواه مسلم]
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अबू दरदा (रज़ियल्लाहु अन्हु) नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से बयान करते हैं कि आपने फरमायाः "c2">“लानत करने वाले क़यामत के दिन न तो सिफारिश करने वाले होंगे न ही गवाही देने वाले।”
सह़ीह़ - इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

इस हदीस में बहुत ज़्यादा लानत करने से सावधान किया गया है और यह बताया गया है कि जो लोग बहुत ज़्यादा लानत करते हैं, उनकी अल्लाह के यहाँ कोई हैसियत नहीं है और दुनिया में उनकी गवाही ग्रहण नहीं की जाएगी, क्योंकि यह लोग विश्वास के पात्र नहीं हैं और गवाही केवल उन्हीं लोगों की ग्रहण की जाती है, जो विश्वास के पात्र हों। इसी तरह, जन्नत में प्रवेश के संंबंध में अपने भाइयों के बारे में की गई इनकी सिफ़ारिश भी ग्रहण नहीं की जाएगी और न आख़िरत में इनकी गवाही ग्रहण की जाएगी। साथ ही, पिछली उम्मतों के बारे में भी इनकी यह सिफ़ारिश ग्रहण नहीं की जाएगी कि उनके नबियों ने संदेश पहुँचा दिया था।

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