سَمِعْتُ رَسُولَ اللهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ يَقُولُ: «قَالَ اللَّهُ تَبَارَكَ وَتَعَالَى: يَا ابْنَ آدَمَ إِنَّكَ مَا دَعَوْتَنِي وَرَجَوْتَنِي غَفَرْتُ لَكَ عَلَى مَا كَانَ فِيكَ وَلاَ أُبَالِي، يَا ابْنَ آدَمَ لَوْ بَلَغَتْ ذُنُوبُكَ عَنَانَ السَّمَاءِ ثُمَّ اسْتَغْفَرْتَنِي غَفَرْتُ لَكَ، وَلاَ أُبَالِي، يَا ابْنَ آدَمَ إِنَّكَ لَوْ أَتَيْتَنِي بِقُرَابِ الأَرْضِ خَطَايَا ثُمَّ لَقِيتَنِي لاَ تُشْرِكُ بِي شَيْئًا لأَتَيْتُكَ بِقُرَابِهَا مَغْفِرَةً».
[حسن] - [رواه الترمذي]
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अनस बिन मालिक (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है, वह कहते हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को फ़रमाते हुए सुना किः “अल्लाह तआला फरमाता हैः हे आदम के पुत्र! जब तक तू मुझे पुकारता रहेगा तथा मुझसे आशा रखेगा, मैं तेरे पापों को क्षमा करता रहूँगा, चाहे वह जितने भी हों, मैं उसकी परवाह नहीं करूँगा। हे आदम के पुत्र! यदि तेरे पाप आकाश की ऊँचाइयों के समान हो जाएँ, फिर तू मुझसे क्षमा याचना करे, तो मैं तुझे क्षमा कर दूँगा। हे आदम के पुत्र! यदि तू मेरे पास धरती के समान पाप लेकर इस हाल में आए कि तुमने मेरे साथ किसी को शरीक नहीं किया था, तो मैं तेरे पास धरती के समान क्षमा लेकर आउँगा।"
यह हदीस अल्लाह की विशाल कृपा, दया एवं दानशीलता का प्रमाण है। इसमें अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने उन साधनों का उल्लेख किया है, जिनसे इनसान को क्षमा प्राप्त हो सकती है। यह साधन हैं, दुआ एवं क्षमायाचना। आपने इन दोनों साधनों को एकेश्वरवाद के साथ जोड़ कर बयान किया है। अतः जो सर्वशक्तिमान एवं महान अल्लाह से एकेश्वरवादी होकर मिलेगा, दुआ एवं क्षमायाचना उसके हक़ में लाभकारी सिद्ध होगी। जबकि बहुदेववाद के साथ किसी चीज़ से कुछ लाभ नहीं होगा। न दुआ से और न उसके अतिरिक्त किसी और चीज़ से।