عَنِ ابْنِ عَبَّاسٍ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُمَا قَالَ: قَالَ النَّبِيُّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ:

«نِعْمَتَانِ مَغْبُونٌ فِيهِمَا كَثِيرٌ مِنَ النَّاسِ: الصِّحَّةُ وَالفَرَاغُ».
[صحيح] - [رواه البخاري]
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अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रज़ियल्लाहु अन्हुमा) से रिवायत है, वह कहते हैं कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः "c2">“दो नेमतें ऐसी हैं, जिनमें अधिकतर लोग अपना नुक़सान करते हैंः स्वास्थ्य तथा फुरसत के क्षण।”
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।

व्याख्या

इनसान पर अल्लाह की दो नेमतें ऐसी हैं, जिनका वह महत्व नहीं जानता और जिनके बारे में वह बड़ा घाटा उठाता है। यह दोनों नेमतें हैं, स्वास्थ्य एवं फ़ुरसत। क्योंकि इनसान बेहतर अंदाज़ में अल्लाह की इबादत उसी समय कर सकता है, जब उसके पास समय हो तथा वह स्वस्थ हो। कभी उसके पास समय तो होता है, लेकिन वह स्वस्थ नहीं होता और कभी स्वस्थ तो होता है, लेकिन उसके पास समय नहीं होता और रोज़ी-रोटी कमाने में इतना व्यस्त रहता है कि ज्ञान अर्जन करने तथा अमल करने के लिए समय निकाल नहीं पाता। अतः जिसके पास यह दोनों चीज़ें हों और इसके बावजूद अल्लाह की इबादत में सुस्ती करे, वह घाटे का सौदा करने वाला व्यक्ति है।

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