عن أَبِي أُمَامَةَ إِياسِ بنِ ثَعْلَبَةَ الحَارِثِيِّ رضي الله عنه أَنَّ رَسُولَ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ:

«مَنِ اقْتَطَعَ حَقَّ امْرِئٍ مُسْلِمٍ بِيَمِينِهِ، فَقَدْ أَوْجَبَ اللهُ لَهُ النَّارَ، وَحَرَّمَ عَلَيْهِ الْجَنَّةَ» فَقَالَ لَهُ رَجُلٌ: وَإِنْ كَانَ شَيْئًا يَسِيرًا يَا رَسُولَ اللهِ؟ قَالَ: «وَإِنْ قَضِيبًا مِنْ أَرَاكٍ».
[صحيح] - [رواه مسلم]
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अबू उमामा इयास बिन सालबा हारिसी (रज़ियल्लाहु अंहु) का वर्णन है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "जिसने अपनी क़सम के ज़रिए किसी मुसलमान का हक़ छीन लिया, उसके लिए अल्लाह ने जहन्नम अनिवार्य कर दी और जन्नत हराम कर दी।" एक व्यक्ति ने कहाः ऐ अल्लाह के रसूल, यदि वह कोई मामूली वस्तु हो? तो फ़रमायाः "हाँ, एक मिसवाक का टुकड़ा ही क्यों न हो।"
सह़ीह़ - इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

इस हदीस में अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने बताया है कि जिसने झूठी क़सम खाकर नाहक़ अपने मुसलमान भाई का अधिकार हड़प लिया, अल्लाह ने उसके लिए जहन्नम अनिवार्य कर दिया और उसपर जन्नत हराम कर दी। यह सुन एक व्यक्ति ने कहा कि ऐ अल्लाह के रसूल! यदि वह कोई मामूली वस्तु हो, तब भी? आपने उत्तर दिया कि वह मिस्वाक का एक टुकड़ा हो, तब भी।

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