عَنْ مَعْقِلِ بْنِ يَسَارٍ رضي الله عنه أَنَّ رَسُولَ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ:

«الْعِبَادَةُ فِي الْهَرْجِ كَهِجْرَةٍ إِلَيَّ».
[صحيح] - [رواه مسلم]
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माक़िल बिन यसार (रज़ियल्लाहु अंहु) कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "फ़ितना के समय इबादत मेरी ओर हिजरत करने की तरह है।"
सह़ीह़ - इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

इस हदीस में बताया गया है कि जो व्यक्ति फ़ितनों, मारकाट, फ़साद एवं बिगाड़ के स्थानों से दूर रहकर अपने रब की इबादत और उसके नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- की सुन्नत के अनुपालन में लीन रहेगा, उसे उतना ही सवाब मिलेगा, जितना सवाब अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- की ओर हिजरत करने वाले को मिलता है।

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