عَنْ عَائِشَةَ أم المؤمنين رَضِيَ اللَّهُ عَنْهَا:

قُلْتُ: يَا رَسُولَ اللَّهِ، إِنَّ لِي جَارَيْنِ فَإِلَى أَيِّهِمَا أُهْدِي؟ قَالَ: «إِلَى أَقْرَبِهِمَا مِنْكِ بَابًا».
[صحيح] - [رواه البخاري]
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आइशा- रज़ियल्लाहु अन्हा- का वर्णन है कि उन्होंने कहाः ऐ अल्लाह के रसूल! मेरे दो पड़ोसी हैं। मैं दोनों में से किसे कोई वस्तु भेंट- के रूप में दूँ? आपने कहाः जिसका द्वार तेरे द्वार से अधिक निकट हो।
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।

व्याख्या

आइशा -रज़ियल्लाहु अनहा- ने अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- से पूछा कि मेरे दो पड़ोसी हैं और मुझे पड़ोसी के सम्मान का आम आदेश दिया गया है। लेकिन मैं दोनों को एक साथ उपहार नहीं दे सकती। अतः मैं किसे उपहार दूँ कि पड़ोसी का सम्मान करने वाले लोगों में शामिल हो जाऊँ? अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया : "जिसका द्वार तुम्हारे द्वार से अधिक निकट हो।"

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