عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ رضي الله عنه أَنَّ النَّبِيَّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ:

«خَيْرُ يَوْمٍ طَلَعَتْ عَلَيْهِ الشَّمْسُ يَوْمُ الْجُمُعَةِ، فِيهِ خُلِقَ آدَمُ، وَفِيهِ أُدْخِلَ الْجَنَّةَ، وَفِيهِ أُخْرِجَ مِنْهَا، وَلَا تَقُومُ السَّاعَةُ إِلَّا فِي يَوْمِ الْجُمُعَةِ».
[صحيح] - [رواه مسلم]
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अबू हुरैरा- रज़ियल्लाहु अन्हु- का वर्णन है कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "सबसे उत्तम दिन जिसमें सूरज निकला, जुमा का दिन है। इसी दिन आदम- अलैहिस्सलाम- पैदा हुए, इसी दिन जन्नत में दाख़िल हुए और इसी दिन वहाँ से निकाले गए।"
सह़ीह़ - इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

इस हदीस में अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने बताया है कि सबसे उत्तम दिन, जिसमें सूरज निकलता है, जुमा का दिन है। इसी दिन सर्वशक्तिमान एवं महान अल्लाह ने इनसानों के पिता आदम -अलैहिस्सलाम- को अपने हाथ से मिट्टी से पैदा किया, इसी दिन अल्लाह ने उन्हें तथा उनकी पत्नी को जन्नत अल-मावा में दाख़िल किया, जहाँ इनसान को पहुँचना है और इसी दिन उन्हें जन्नत से निकल जाने का आदेश दिया। याद रहे कि जन्नत से निकलने का आदेश अपमान पर आधारित नहीं था, बल्कि उच्च एवं महान अल्लाह की हिकमत के अनुसार था।

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