عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ رضي الله عنه قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ:

«وَيْلٌ لِلْأَعْقَابِ مِنَ النَّارِ».
[صحيح] - [متفق عليه]
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अबू हुरैरा, अब्दुल्लाह बिन अम्र और आइशा- रजियल्लाहु अन्हुम- कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फ़रमायाः खराबी है उसके लिए जिसके टखनों को अग्नि का दंड हो।
सह़ीह़ - इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने वज़ू के मामले में किसी प्रकार की सुस्ती बरतने से मना किया है और ख़ूब अच्छी तरह वज़ू करने की प्रेरणा दी है। चूँकि आम तौर पर वज़ू का पानी टखनों तक पहुँच नहीं पाता और उससे तहारत तथा नमाज़ में व्यवधान पैदा होता है, इसलिए आपने बताया कि सूखी एड़ियों तथा सूखी एड़ी वालों को, जो शरई तहारत के मामले में लापरवाही से काम लेते हैं, अज़ाब का सामना करना पड़ेगा।

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शब्दार्थ

ويل:
كلمة وعيد وتخويف وتهديد.
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