«لَتَتَّبِعُنَّ سَنَنَ الَّذِينَ مِنْ قَبْلِكُمْ، شِبْرًا بِشِبْرٍ، وَذِرَاعًا بِذِرَاعٍ، حَتَّى لَوْ دَخَلُوا فِي جُحْرِ ضَبٍّ لَاتَّبَعْتُمُوهُمْ» قُلْنَا: يَا رَسُولَ اللهِ آلْيَهُودَ وَالنَّصَارَى؟ قَالَ: «فَمَنْ؟».
[صحيح] - [متفق عليه]
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अबू सईद खुदरी (रज़ियल्लाहु अन्हु) का वर्णन है नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "तुम अपने से पहले समुदायों के रास्तों पर बिलकुल वैसे ही चलोगे, जैसे तीर का एक पर दूसरे पर के बराबर होता है। यहाँ तक कि अगर वे सांडा के बिल में घुसे हैं, तो तुम भी उसमें घुसोगे।" सहाबा ने कहाः ऐ अल्लाह के रसूल, क्या आपका आशय यहूदी और ईसाई हैं? तो आपने फरमायाः "फिर और कौन?"
सह़ीह़ - इसे दोनों रिवायतों के साथ बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।
अबू सईद खुदरी -रज़ियल्लाहु अनहु- बताते हैं कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने खबर दी है कि इस उम्मत के लोग व्यवहार, राजनीति एवं धर्म के मामले में पिछली उम्मतों का अनुसरण करने लगेंगे और हर चीज़ में उनकी नक़ल उतारने का प्रयास करेंगे। बिल्कुल उसी तरह, जैसे तीर का एक पर दूसरे पर के समान होता है। फिर इस अनुसरण और नक़ल उतारने की उत्सुकता की ताकीद करते हुए कहा कि यदि पिछली उम्मतों के लोग सांडा के तंग और अंधेरे बिल में प्रविष्ट हुए थे, तो इस उम्मत के लोग भी उसमें प्रवेश करने का प्रयत्न करेंगे। फिर जब सहाबा -रज़ियल्लाहु अनहुम- ने पूछा कि पिछली उम्मतों से आशय यहूदी एवं ईसाई तो नहीं हैं? तो आपने उत्तर दिया कि वे नहीं तो फिर और कौन हैं?