عَنْ حُذَيْفَةَ رضي الله عنه قَالَ:

كُنْتُ مَعَ النَّبِيِّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ فَانْتَهَى إِلَى سُبَاطَةِ قَوْمٍ، فَبَالَ قَائِمًا، فَتَنَحَّيْتُ فَقَالَ: «ادْنُهْ» فَدَنَوْتُ حَتَّى قُمْتُ عِنْدَ عَقِبَيْهِ فَتَوَضَّأَ فَمَسَحَ عَلَى خُفَّيْهِ.
[صحيح] - [متفق عليه]
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हुज़ैफ़ा बिन यमान- रज़ियल्लाहु अन्हुमा- कहते हैंः मैं अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के साथ था। आपने पेशाब किया, वुज़ू किया और अपने मोज़ों पर मसह किया।
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

हुज़ैफ़ा बिन यमान -रज़ियल्लाहु अनहु- बता रहे हैं कि वे अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के साथ थे। यह मदीना ही की बात है। इस बीच आपको पेशाब के लिए जाने की आवश्यकता महसूस हुई, तो दीवार के पीछे स्थित एक स्थान में आए, जहाँ लोग कूड़ा-करकट आदि गिराया करते थे। वहाँ पेशाब किया, वज़ू किया और दोनों मोज़ों पर मसह भी किया। दरअसल आपने वज़ू इस्तिंजा अथवा ढेलों के प्रयोग के बाद किया था, जैसा कि आपकी आदत थी।

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