عَنْ أَنَسِ بْنِ مَالِكٍ رضي الله عنه قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ:

«سَوُّوا صُفُوفَكُمْ، فَإِنَّ تَسْوِيَةَ الصَّفِّ مِنْ تَمَامِ الصَّلَاةِ».
[صحيح] - [متفق عليه]
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अनस बिन मालिक (रज़ियल्लाहु अंहु) कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "अपनी सफ़ें सीधी कर लो; क्योंकि सफ़ों को सीधा करना पूर्ण नमाज़ का अंग है।"
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- उम्मत का मार्गदर्शन हर उस कार्य की ओर करते थे, जिसमें उनका हित तथा उनकी सफलता निहित हो। चुनांचे यहाँ आप उन्हें आदेश दे रहे हैं कि नमाज़ पढ़ते समय अपनी सफें बराबर कर लिया करें, अपने चेहरों को पूरे तौर पर किबला की ओर रखें और सफ़ों के बीच के खाली स्थानों को ठीक से भर लें। ताकि शैतानों को उनकी नमाज़ से खेलने का अवसर न मिले। यहाँ अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने सफ़ों को सीधा रखने के कुछ लाभ भी बयान कर दिए हैं। बताया कि सफ़ों को सीधा रखना पूरी और मुकम्मल नमाज़ की निशानी है। जबकि उनका टेढ़ा होना नमाज़ के अधूरा होने का लक्षण है।

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