عن تَميم الداري رضي الله عنه، قال: سمعتُ رسول الله صلى الله عليه وسلم يقول:

«‌لَيَبْلُغَنَّ ‌هَذَا الأَمْرُ مَا بَلَغَ اللَّيْلُ وَالنَّهَارُ، وَلَا يَتْرُكُ اللهُ بَيْتَ مَدَرٍ وَلَا وَبَرٍ إِلَّا أَدْخَلَهُ اللهُ هَذَا الدِّينَ، بِعِزِّ عَزِيزٍ أَوْ بِذُلِّ ذَلِيلٍ، عِزًّا يُعِزُّ اللهُ بِهِ الإِسْلَامَ، وَذُلًّا يُذِلُّ اللهُ بِهِ الكُفْرَ» وَكَانَ تَمِيمٌ الدَّارِيُّ يَقُولُ: قَدْ عَرَفْتُ ذَلِكَ فِي أَهْلِ بَيْتِي، لَقَدْ أَصَابَ مَنْ أَسْلَمَ مِنْهُمُ الْخَيْرُ وَالشَّرَفُ وَالْعِزُّ، وَلَقَدْ أَصَابَ مَنْ كَانَ مِنْهُمْ كَافِرًا الذُّلُّ وَالصَّغَارُ وَالْجِزْيَةُ.
[صحيح] - [رواه أحمد]
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तमीम दारी -रज़ियल्लाहु अन्हु कहते हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- को कहते हुए सुना हैः "यह धर्म वहाँ तक ज़रूर पहुँचेगा, जहाँ दिन और रात पहुँचती है। अल्लाह किसी नगर तथा गाँव और देहात तथा रेगिस्तान का कोई घर नहीं छोड़ेगा, जहाँ इस धर्म को दाख़िल न कर दे। इस प्रकार, सम्मानित व्यक्ति को सम्मान मिलेगा और अपमानित व्यक्ति का अपमान होगा। ऐसा सम्मान, जो अल्लाह इसलाम के आधार पर प्रदान करेगा तथा ऐसा अपमान जिससे अल्लाह कुफ़्र की बिना पर दोचार करेगा।" तमीम दारी -रज़ियल्लाहु अन्हु- कहा करते थेः मैंने इसे ख़ुद अपने परिवार के सदस्यों में देखा है। उनमें से जो मुसलमान हुआ, उसे भलाई, ऊँचाई और सम्मान मिला और जो काफ़िर ही रहा, उसे अपमान तथा निरादर का सामना करना पड़ा और जिज़या देना पड़ा।
सह़ीह़ - इसे अह़मद ने रिवायत किया है।

व्याख्या

इस हदीस में अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- बता रहे हैं कि इस्लाम धर्म धरती के तमाम क्षेत्रों में फैल जाएगा। जहाँ भी रात एवं दिन पहुँचता है, वहाँ इस्लाम ज़रूर पहुँचेगा। अल्लाह नगरों एवं बस्तियों और देहातों एवं रेगिस्तानों में कोई घर नहीं छोड़ेगा, जहाँ इस धर्म को प्रवेश न मिले। अतः जो इस धर्म को ग्रहण करे लेगा और इसके दायरे में आ जाएगा, वह इस्लाम के सम्मान से सम्मानित हो जाएगा, और जो इसे ठुकरा देगा और इसका इनकार करेगा, उसके हिस्से में अपमान एवं तिरस्कार आएगा। इस हदीस के वर्णनकर्ता और महान सहाबी तमीम दारी -रज़ियल्लाहु अनहु- बताते हैं कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- की बातई हुई इस बात का अनुभव स्वयं उन्होंने अपने परिवार में किया है। उन्होंने देखा है कि उनके परिवार के जो लोग मुसलमान हो गए उनको भलाई, सौभाग्य एवं सम्मान मिला और जिन लोगों ने मुसलमान होने से इनकार कर दिया, उन्हें अपमान एवं तिरस्कार का सामना करना पड़ा, और साथ ही उन्हें मुसलमानों को जिज़या (कर) भी देना पड़ा।

अनुवाद: अंग्रेज़ी फ्रेंच स्पेनिश तुर्की उर्दू इंडोनेशियाई बोस्नियाई रूसी बंगला चीनी फ़ारसी तगालोग कुर्दिश पुर्तगाली الدرية
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शब्दार्थ

مَدَر:
طين، والمراد أهل القرى والمدن.
وبر:
شعر وصوف، والمراد أهل البادية والصحراء.
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